अक्षरों का महत्व
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यह पुस्तक अक्षरों से बनी है। सारी पुस्तक अक्षरों से बनी है। तरह-तरह की पुस्तके तरह-तरह के अक्षर।
दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तके छप चुकी है। हजारों पुस्तके रोज छपती है। तरह-तरह के अक्षर हजारों की तादाद में रोज ही समाचार पत्रों पर छपते रहते है। इन सबके मूल मे है अक्षरI हम कल्पना भी नहीं कर सकती कि यदि आदमी अक्षरों को ना जानता तो आज इसे दुनिया का क्या हाल होता। कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। पुराने जमाने में लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं बल्कि इंसान ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किस अक्षर की खोज किस देश में किस समय हुई। हमारी धरती लगभग 5 अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव जंतु नहीं थे, फिर करोड़ों साल तक केवल वनस्पतियों और जानवरों का ही इसे धरती पर राज्य रहा है। आदमी ने इस धरती पर कोई पांच लाख साल पहले जन्म लिया धीरे-धीरे उसका विकास हुआ। कोई 10000 साल पहले आदमी ने गांवों को बसाना शुरु किया। वह खेती करने लगा। वह पत्थरों के औजारों का इस्तेमाल करने लगा। फिर उसने तांबे और कांसे के भी औजार बनाए। प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के जरिए अपने भाव प्रकट किए। जैसे पशुओं, पाक्षियों, आदमियों आदि के चित्र।
इन चित्र-संकेतो से बाद में भाव-संकेत आस्तिव में आए। तब जाकर काफी बाद में आदमी ने अक्षरों की खोज की। अक्षरों की खोज शुरू हुए मुश्किल से 6000 साल हुए हैं। अक्षरों की खोज के साथ एक नई युग की शुरुआत हुई। आदि अपने विचार और अपने हिसाब-किताब को लिखकर रखने लगा। तब से मानव को सभ्य कहा जाने लगा। किसी भी कौम या देश का इतिहास तब शुरू होता हैं जब से आदमी के लिखे हुए लेख मिलने लग जाते हैं। अतः हम देखते हैं कि यदि आदमी अक्षरों की खोज ना करता तो आज हम इतिहास को नहीं जान पाते। हम यह न जान पाते कि पिछले कुछ हजार सालों में आदमी किस प्रकार रहता था, क्या-क्या सोचता था, कौन-कौन राजा हुए इत्यादि।अक्षरों की खोज मनुष्य की सबसे बड़ी खोज है। अक्षरों की खोज करने के बाद ही मनुष्य अपने विचारों को लिखकर रखने लगा है। इस प्रकार एक पीढ़ी के ज्ञान का इस्तेमाल दूसरी पीढ़ी करने लगी। अक्षरों की खोज करने के बाद पिछले छह हजार सालों में मानव जाति का विकास हुआ। यह महत्व है अक्षरों का और उससे बनी लिपियों का। हम सबको अक्षरों की कहानी मालूम होनी चाहिए। आज जिन अक्षरों को हम पढ़ते हैं या लिखते हुए वे कब बनाएं गए, कहां बने, किसने बनाएं, यह जानना ज़रूरी हैं।
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